यहाँ पर हमने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन (Indian National Congress Session) की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन से सम्बंधित प्रश्न कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछें जा चुके है। यदि आप विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे:एसएससी, आईपीएस, पुलिस सब-इंस्पेक्टर, बैंक पी.ओ, सी.डी.एस, संविदा शिक्षक, पी.एस.सी, रेलवे, पुलिस कांस्टेबल, पटवारी, व्यापमं तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है तो आपको भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन (Indian National Congress Session) के बारे में कम से कम एक बार आवश्यक रूप से पढ़ लेना चाहिये।
Table of Contents
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन (Indian National Congress Session)-
पहला अधिवेशन
♦ स्थान : मुम्बई
♦ वर्ष: 28 दिसम्बर, 1885
♦ अध्यक्ष: डब्ल्यू सी. बनर्जी
♦ प्रमुख बातें:
➣ कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 28-31 दिसम्बर 1885 ई. तक बम्बई के ग्वालिया टैंक स्थित गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में हुआ।
➣ प्रारम्भ में इसका नाम “भारतीय राष्ट्रीय संघ” था, परन्तु दादाभाई नौरोजी के सुझाव पर यह बदलकर “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस” कर दिया गया।
➣ प्रारम्भ में यह पूना में होना था, किन्तु प्लेग फैलने के कारण इसका स्थान बम्बई कर दिया गया।
➣ कांग्रेस के इस प्रथम अधिवेशन में कुल 72 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें बम्बई प्रेसीडेंसी से 38, मद्रास से 21, बंगाल से 3, उत्तर प्रदेश और अवध से 7 तथा पंजाब से 3 प्रतिनिधि थे। इसमें ज्यादातर प्रतिनिधि वकील और पत्रकार थे।
दूसरा अधिवेशन
♦ स्थान : कलकत्ता
♦ वर्ष : 28 दिसम्बर, 1886
♦ अध्यक्ष: दादाभाई नौरोजी
♦ प्रमुख बातें:
➣ कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन में 434 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
➣ इसी अधिवेशन में नेशनल कांफ्रेंस का राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय हो गया।
➣ इस अधिवेशन में निर्णय लिया गया की सभी महत्वपूर्ण केन्द्रों में कांग्रेस स्टैंडिंग कमेटी का गठन किया जायेगा।
➣ डफरिन ने सम्मलेन में आए हुए व्यक्तियों को व्यक्तिगत हैसियत से “उद्यान भोज” Garden Party दी थी। इन निमंत्रित व्यक्तियों में सुरेन्द्रनाथ बनर्जी शामिल नहीं थे।
तीसरा अधिवेशन
♦ स्थान : मद्रास
♦ वर्ष : 28 दिसम्बर
♦ अध्यक्ष : बदरुद्दीन तैय्यब
♦ प्रमुख बातें:
➣ बदरुद्दीन तैय्यब जी कांग्रेस के पहले मुस्लिम अध्यक्ष थे। इस अधिवेशन में 607 प्रतिनिधि ने हिस्सा लिया।
➣ यह पहला सम्मलेन था, जिसके कार्य के संचालन का भार प्रतिनिधियों की एक कमेटी के हाथों में सौंपा गया था। यह आगे चलकर “विषय निर्धारिणी समिति” कहलाई।
➣ कांग्रेस के इतिहास में यह पहला अवसर था जबकि आम जनता से कांग्रेस में शामिल होने की अपील की गई तथा सरकारी अधिकारीयों की आलोचना की गई।
➣ इस सम्मेलन में भारतीय भाषाओ में भी भाषण हुआ। तंजौर के म्युनिसपल कमिश्नर “मुकनासरी” ने तमिल में भाषण दिया।
➣ इस अधिवेशन में आर्म्स ऐक्ट के खिलाफ प्रस्ताव ह्यूम के विरोध के बावजूद पास हुआ।
➣ डफरिन ने पहली बार कांग्रेस की आलोचना की।
➣ एच. जी. रानाडे ने इसी समय से कांग्रेस मंच से “सोशल कांफ्रेंस” का आयोजन शुरू किया।
➣ बदरुद्दीन तैयब जी ने “कांग्रेसी बनो” का नारा दिया।
चौथा अधिवेशन
♦ स्थान: इलाहबाद
♦ वर्ष: 28-29 दिसम्बर 1888
♦ अध्यक्ष: जार्ज यूल
♦ प्रमुख बातें:
➣ कांग्रेस का चौथा अधिवेशन उत्तर-पश्चिमी प्रान्त की राजधानी इलाहाबाद में हुआ।
➣ यहाँ के गवर्नर आकलैंड कालविन ने पूरी कोशिश की की यह सम्मेलन इलाहाबाद में ना होने पाए परन्तु उस समय राजा दरभंगा ने इलाहाबाद में “लोथर
सर सैयद अहमद और वाराणसी के राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद ने इलाहाबाद कांग्रेस अधिवेशन का विरोध किया।
➣ इस अधिवेशन में 1248 सदस्यों ने भाग लिया।
➣ पहली बार लाला लाजपत राय भी कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए और हिंदी में भाषण दिया।
➣ इस अधिवेशन में कांग्रेस का संविधान तय किया गया तथा यह निर्णय किया गया कि अगर किसी प्रस्ताव पर मुस्लिम प्रतिनिधियों के एक बड़े भाग को आपत्ति हो तो, प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया जाएगा।
➣ जॉर्ज यूल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि कांग्रेस जन का नारा है कि हम सबसे पहले भारतीय हैं हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई बाद में है।
➣ डफरिन ने न केवल कांग्रेस की आलोचना की बल्कि यह कह कर कांग्रेस का मजाक भी उड़ाया की “यह जनता के एक सूक्ष्म भाग का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है।”
पांचवा अधिवेशन
♦ स्थान: बम्बई
♦ वर्ष: 27-28 दिसम्बर,1889
♦ अध्यक्ष: विलियम वेडरबर्न
♦ प्रमुख बातें:
➣ इस अधिवेशन में पहली बार महिलाओं ने भी भाग लिया।
➣ इसी अधिवेशन में 21 वर्षीय मताधिकार का प्रस्ताव पारित हुआ तथा कांग्रेस की एक “ब्रिटिश समिति” का गठन लंदन में हुआ।
नौवां अधिवेशन
♦ स्थान: लाहौर
♦ वर्ष: 27-28 दिसंबर 1893
♦ अध्यक्ष : दादाभाई नौरोजी
♦ प्रमुख बातें :
➣ इस अधिवेशन में सिविल सेवा परीक्षा भारत में करवाने की मांग की गई।
दसवां अधिवेशन
♦ स्थान: मद्रास
♦ वर्ष: 27-28 दिसंबर 1894
♦ अध्यक्ष: अल्फ्रेड बेब
♦ प्रमुख बातें:
➣ अल्फ्रेड ब्रिटिश संसद के एक सदस्य थे।
ग्यारहवां अधिवेशन
♦ स्थान: पुणे
♦ वर्ष: 28-29 दिसंबर, 1895
♦ अध्यक्ष: सुरेंद्रनाथ बनर्जी
♦ प्रमुख बातें:
➣ तिलक ने एम. जी. रानाडे द्वारा प्रारंभ “सोशल क्रांफ्रेंस” को बंद करवा दिया।
बारहवां अधिवेशन
♦ स्थान: कोलकाता
♦ वर्ष: 27-28 दिसंबर 1896
♦ अध्यक्ष: रहीमतुल्ला
♦ प्रमुख बातें:
➣ कांग्रेस मंच से बंकिम चंद्र चटर्जी ने “वंदे मातरम्” का गान पहली बार किया।
21वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: वाराणसी
♦ वर्ष: 27-30 दिसंबर, 1905
♦ अध्यक्ष: गोपाल कृष्ण गोखले
♦ प्रमुख बातें:
➣ बनारस अधिवेशन में गोखले को “विपक्ष के नेता” की उपाधि दी गई।
22वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: कोलकाता
♦ वर्ष: 26-29 दिसंबर
♦ अध्यक्ष: दादाभाई नौरोजी
♦ प्रमुख बातें:
➣ कोलकाता अधिवेशन में पहली बार “स्वराज” शब्द का प्रयोग किया गया।
23वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: सूरत
♦ अध्यक्ष: रास बिहारी घोष
♦ प्रमुख बातें:
➣ यह अधिवेशन पहले नागपुर में होना था। ”स्वराज” शब्द की व्याख्या को लेकर कांग्रेस का विभाजन हो गया तथा यह नरम दल एवं गरम दल में बंट गया। इस कारण सूरत अधिवेशन की कार्यवाही पूरी नहीं हो सकी। अत: इसी अधिवेशन को मद्रास में पुन: आयोजित किया गया। कांग्रेस विभाजन के बाद नरम पंथियों का कांग्रेस पर प्रभुत्व स्थापित हो गया।
26वां अधिवेशन
♦ स्थान: कोलकाता
♦ वर्ष: 26-28 दिसंबर 1911
♦ अध्यक्ष: बिशन नारायण धर
♦ प्रमुख बातें:
➣ कांग्रेस मंच से “जन गण मन” का पहली बार गान हुआ।
27वां अधिवेशन
♦ स्थान: बाकीपुर
♦ अध्यक्ष: आर. एन. मुधोलकर
♦ प्रमुख बातें:
➣ इसी अधिवेशन में ह्यूम को “कांग्रेस का पिता” कहा गया।
31वां अधिवेशन
♦ स्थान: लखनऊ
♦ वर्ष: 26-30 दिसंबर 1916
♦ अध्यक्ष: अंबिका चरण मजूमदार
♦ प्रमुख बातें:
➣ तिलक और एनी बेसेंट के प्रयासों से कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग में समझौता हो गया जिसे “लखनऊ समझौता” या “कांग्रेस लीग पैक्ट” कहा जाता है। मदन मोहन मालवीय ने इस समझौते का विरोध किया था। इसी अधिवेशन में मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन की मांग को स्वीकार कर लिया गया। लखनऊ अधिवेशन में नरम दल एवं गरम दल पुन: एक हो गए। तिलक ने लखनऊ अधिवेशन में ही नारा दिया कि “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा।”
32वां अधिवेशन
♦ स्थान: कोलकाता
♦ अध्यक्ष: श्रीमती एनी बेसेंट
♦ प्रमुख बातें:
➣ श्रीमती एनी बेसेंट कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष हुई।
33वां अधिवेशन
♦ स्थान: दिल्ली
♦ वर्ष: 26-31 दिसंबर 1918
♦ अध्यक्ष: मदन मोहन मालवीय
♦ प्रमुख बातें:
➣ इसी अधिवेशन में सर्वप्रथम मौलिक अधिकारों की मांग की गई।
35वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: नागपुर
♦ वर्ष: 26-31 दिसंबर 1920
♦ अध्यक्ष: वीर राघवाचारी
♦ प्रमुख बातें:
➣ इस अधिवेशन में कांग्रेस संविधान संशोधन किया गया तथा कहा गया कि 25पैसे चंदा देकर कोई भी 21 वर्ष का व्यक्ति कांग्रेस का सदस्य बन सकता है।
➣ इस अधिवेशन में देश को पहली बार भाषाई आधार पर प्रांतों में विभाजित करने की बात कही गई तथा हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया।
➣ इस अधिवेशन में पहली बार कांग्रेस ने रियासतों के प्रति अपनी नीति की घोषणा की।
➣ नागपुर अधिवेशन में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया।
➣ 1920 ईस्वी में “कोलकाता” में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन हुआ। इसमे “असहयोग” का प्रस्ताव स्वीकार किया गया।
➣ 1923 ई. में ही काग्रेस का विशेष अधिवेशन ‘दिल्ली’ में अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में हुआ। अबुल कलाम आजाद सबसे कम उम्र के कांग्रेस अध्यक्ष हुए।
39वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: बेलगांव
♦ वर्ष: 26 27 दिसंबर 1924
♦ अध्यक्ष: महात्मा गांधी
♦ प्रमुख बातें:
➣ गांधी जी केवल एक बार ही कांग्रेस का अध्यक्ष बन पाए। इसी समय कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों अलग हो गए।
40वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: कानपुर
♦ वर्ष: 26-28 दिसम्बर 1925
♦ अध्यक्ष: सरोजनी नायडू
♦ प्रमुख बातें:
➣ यह कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष (सरोजनी नायडू) निर्वाचित हुई। इस अधिवेशन में “हिन्द” को राष्ट्रभाषा के रूप में इस्तेमाल किया गया।
41वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: गोहाटी
♦ वर्ष: 1926 ई.
♦ अध्यक्ष: एम. श्रीनिवास आयंगर
♦ प्रमुख बातें:
➣ इसी अधिवेशन में कांग्रेस नेताओं को (खादी पहनना अनिवार्य) कर दिया गया।
42वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: मद्रास
♦ वर्ष: 26-27 दिसम्बर, 1927
♦ अध्यक्ष: एम. ए. अंसारी
♦ प्रमुख बातें:
➣ सुभाष चन्द्र बोस एवं जवाहर लाल नेहरु के प्रयत्नों से “पूर्ण स्वराज” का प्रस्ताव पारित, परन्तु इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
44वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: लाहौर
♦ वर्ष: 1929
♦ अध्यक्ष: जवाहरलाल नेहरु
♦ प्रमुख बातें:
➣ इसी अधिवेशन में “पूर्ण स्वराज” का प्रस्ताव पारित कर दिया गया तथा 26 जनवरी को “स्वतंत्रता दिवस” मनाने का निश्चय किया गया।
45वाँअधिवेशन
♦ स्थान: कराची
♦ वर्ष: 1931 ई.
♦ अध्यक्ष: बल्लभ भाई पटेल
♦ प्रमुख बातें:
➣ राष्ट्रिय आर्थिक कार्यक्रम से सम्बन्ध प्रस्ताव पारित। इसी अधिवेशन में मौलिक अधिकार का प्रस्ताव पारित किया गया। करांची अधिवेशन में गाँधी ने कहा था “गाँधी मर सकते है, परन्तु गांधीवाद हमेशा जिन्दा रहेगा।”
49वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: लखनऊ
♦ वर्ष: 1936
♦ अध्यक्ष: जवाहरलाल नेहरु
♦ प्रमुख बातें:
➣ इस अधिवेशन में “कांग्रेस पार्लियामेंट बोर्ड” (C.P.B) की स्थापना की गई। नेहरु ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा ”हाँ, मै समाजवादी हूँ, मेरा लक्ष्य समाजवाद की स्थापना करना है।”
50वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: हरिपुरा (गुजरात)
♦ अध्यक्ष: सुभाष चन्द्र बोस
♦ प्रमुख बातें:
➣ पहली बार कांग्रेस का अधिवेशन गांव में हुआ।
52वाँ अधिवेशन
♦ स्थान: त्रिपुरी
♦ अध्यक्ष: सुभाष चन्द्र बोस
♦ प्रमुख बातें:
➣ पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सुभाष चंद्र बोस एवं गांधी जी द्वारा समर्थित उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया के बीच मतदान हुआ। जिसमें सुभाष चंद्र बोस की जीत हुई परंतु गांधीजी से विवाद हो जाने के कारण उन्होंने त्याग पत्र दे दिया। तब डॉ. राजेंद्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष बनाया गया।
यह भी पढ़ें:-
☛ भारत की विलुप्त होती जीव प्रजातियाँ । Extinct species of India
(आप हमें Facebook, Twitter, Instagram और Pinterest पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।)