ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड
ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड

राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड किया गया।

केंद्र सरकार द्वारा 6 अगस्त को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड कर दिया गया। अब से राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार को ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड के नाम से जाना जायेगा। मोदी ने इस फैसला का ऐलान करते हुए कहा कि ये अवॉर्ड हमारे देश की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगा।

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के बारे में

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत 1991-92 में हुई थी। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार है। इसे जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र, अवॉर्ड और 25 लाख रुपए की राशि दी जाती है। सबसे पहला खेल रत्न पुरस्कार भारतीय ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था।

अब तक 45 लोगों को ये अवॉर्ड दिया जा चुका है। हाल में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (2020 में) क्रिकेटर रोहित शर्मा, पैरालंपियन हाई जम्पर मरियप्पन थंगवेलु, टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा, रेसलर विनेश फोगाट को ये अवॉर्ड दिया गया है। हॉकी में अब तक 3 खिलाड़ियों को खेल रत्न अवॉर्ड मिला है। इसमें धनराज पिल्ले (1999/2000), सरदार सिंह (2017) और रानी रामपाल (2020) शामिल है।

मेजर ध्यानचंद के बारे में

➢ मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। उनकी आत्मकथा का नाम ‘गोल’ है।

➢ उन्होंने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी। उनका असली नाम ध्यान सिंह था। वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा।

➢ उन्होंने 1926 से 1949 तक 185 इंटरनेशनल मैच में 400 गोल किए। उनके गोल करने की गजब की प्रतिभा के कारण भारत ने लगातार 1928, 1932 और 1936 के ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था।

➢ 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए। तब एक स्थानीय अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।’ तभी से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा।

➢ बर्लिन ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद हिटलर ने उन्हें जर्मनी की सेना में शामिल – होकर जर्मनी की ओर से हॉकी खेलने को कहा था, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव ठुकरा दिया था।

➢ मेजर ध्यानचंद को 1956 में भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय अर्जुन पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

➢ मेजर ध्यानचंद का निधन 3 दिसम्बर 1979 को हुआ अंतिम संस्कार झांसी के उसी मैदान में किया गया था, जहां उन्होंने शुरुआती दिनों में हॉकी के गुर सीखे थे।

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