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कम्प्यूटर का सामान्य परिचय (General Introduction to Computers) –
सभ्यता के विकास के साथ – साथ मनुष्य के पास जानकारियों का अम्बार लगता गया, इसलिए उसे ऐसे यंत्र की जरूरत पड़ी, जो न केवल उस जानकारी को शीघ्रता से संजो सके, बल्कि जरूरत पड़ने पर उस जानकारी को शीघ्रता से प्रस्तुत कर सके या दी गयी जानकारी के आधार पर शीघ्र निर्णय दे सके। आज मनुष्य के जीवन में कम्प्यूटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके प्रयोग ने मानव जीवन को अत्यन्त सरल बना दिया है। मनुष्य की कल्पना थी कि वह एक ऐसी युक्ति का आविष्कार करे, जो कार्यशैली में लगभग उसी के समान हो। इस कल्पना को कम्प्यूटर के आविष्कार ने साकार रूप दिया है।
कम्प्यूटर क्या है ? what is computer ?
कम्प्यूटर एक स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो तीव्र गति से कार्य करता है और कोई गलती नहीं करता है। इसकी क्षमता सीमित है। यह अंग्रेजी शब्द कम्प्यूट (Computs) से बना है जिसका अर्थ गणना करना है। हिन्दी में इस संगणक कहते हैं। इसका उपयोग बहुत सारे सूचनाओं को प्रोसेस (Process) करने तथा इकट्ठा करने के लिए होता है। कम्प्यूटर एक यंत्र है जो डेटा ग्रहण करता है व इसे सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम के अनुसार किसी परिणाम के लिए प्रोसेस (Process) करता है। या हम कहे की कम्प्यूटर एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जिसे हम रॉ – डेटा (Raw Data) देकर प्रोग्राम (Program) के नियंत्रण द्वारा उपयोगी सूचनाओं (Useful Information) में बदल सकते हैं। रॉ – डेटा वे सभी आंकड़े होते हैं जो हम कम्प्यूटर को देते हैं। कम्प्यूटर को कृत्रिम बुद्धि की संज्ञा दी गई है। इसकी स्मरण शक्ति मनुष्य की तुलना में उच्च होती है।
कम्प्यूटर का शाब्दिक अर्थ है ‘वह यंत्र जो कम्प्यूट यानि गणना करे, शुरूआत में कम्प्यूटर का काम केवल गणना करना ही था। इसलिए यह परिभाषा ठीक लगती थी, लेकिन तकनीकी विकास के साथ कम्प्यूटर के कार्यों में बढ़ोत्तरी हो गयी। इसे हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की श्रेणी में रखते हैं। इसके माध्यम से आँकड़ों को संयोजित और विधिवत् करके अर्थपूर्ण आँकड़ों को हासिल करते हैं, कुल मिलाकर यह एक ऐसा चलित उपकरण है, जो मौसम, ट्रॉफिक सिग्नल, कन्ट्रोल, एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद, बैंकों का लेन – देन, लेखा – जोखा रखना, अस्पताल प्रबंधन, चिकित्सकीय उपयोग, अपराधों का पता लगाना जैसे कठिन कार्यों की जानकारी रखते हैं। इन सभी कार्यों की जानकारी कम्प्यूटर में ‘फीड’ कराई जाती है। कम्प्यूटर की अपनी पारिभाषिक शब्दावली तथा गणितीय सूचकांक होते हैं, जो टेलीविजन जैसी स्क्रीन पर अंकित हो जाते हैं। इससे प्रश्नों का तार्किक हल प्राप्त किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए आप को एक मार्कशीट बनानी है तो उसके लिए कुछ विशेष जानकारियों की आवश्यकता होगी। जैसे विद्यार्थियों के नाम, क्लास, विषय और प्रत्येक विषय के प्राप्तांक। इन सभी जानकारियों को रॉ – डेटा कहते हैं जिन्हें कम्प्यूटर में इनपुट (Input) किया जाता है। प्रोग्राम कम्प्यूटर की विशिष्ट भाषा में लिखे गए निर्देशों का वह समूह है जो कम्प्यूटर में इनपुट किए गए रॉ – डेटा को प्रोसेस (Process) या संसाधित करता है। उपयोगी सूचनाएं वे परिणाम हैं जो कम्प्यूटर द्वारा रॉ – डेटा की प्रोसेसिंग होने के बाद हमें मिलते हैं।
उपरोक्त उदाहरण में मार्कशीट की प्रोसेसिंग होने पर उसके सभी विषयों के प्राप्तांकों का कुल योग निकालने और सम्पूर्ण योग (Grand Total) निकालने का कार्य होता है और आउटपुट (Output) के रूप में हमें तैयार मार्कशीट मिलती है जिसे हम उपयोगी सूचना कहते हैं।
Computer में प्रयुक्त सात अक्षरों का अर्थ इस प्रकार है –
C – Commonaly (समरूपता)
O – Operatore (चालक)
M – Machine (यंत्र)
P – Particular (मुख्य)
U – User (प्रयोग)
T – Trade (व्यवसाय)
E – Education (शिक्षा)
R – Research (अनुसंधान)
अतः यह कहना उचित है कि कम्प्यूटर केवल एक गणक (केलक्यूलेटर) ही नहीं, अपितु यह गणितीय तथा अगणितीय सभी प्रकार की सूचनाओं को संसाधित करने वाला इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (Device) है।
कम्प्यूटर के कार्य (Functions of Computer) –
1. डेटा संकलन (Data Collection) या इनपुट
2. डेटा संचयन (Data Storage)
3. डेटा संसाधन (Data Processing)
4. परिणाम या जानकारी देना (Output या Retrievd)
कम्प्यूटर की विशेषताएँ (Characteristics of Computer) –
कम्प्यूटर की निम्न विशेषताएँ हैं –
(1) स्मृति क्षमता (Storage Capacity)
(2) उच्च गति (High Speed)
(3) विश्वसनीयता (Realiability)
(4) स्वचालन (Automation)
(5) निर्णय क्षमता (Decision Power)
(6) जानकारी की शीघ्र पुनः प्राप्ति (Quick Retrival of Information)
कम्प्यूटर के उपयोग (Uses of Computer) –
आज हम अपने कम्प्यूटर का प्रयोग कर इंटरनेट पर विश्व का पूरा हाल, किसी भी पुरानी घटना की जानकारी या जो भी हम जानना चाहते हैं, जान सकते हैं। किसी भी बड़े या प्रतिष्ठित संगठन में भर्ती हेतु कम्प्यूटर का प्रारम्भिक ज्ञान अपरिहार्य होता जा रहा है। चाहे वह रक्षा का क्षेत्र हो या शिक्षा का या फिर रोजगार, व्यापार या व्यवसाय का, कम्प्यूटर इंटरनेट की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण हो गयी है। समुद्र की गहराई हो या अंतरिक्ष की ऊंचाई हो अथवा अन्टार्कटिका जैसा सुदूरवर्ती क्षेत्र हो, शोध व अनुसंधान को सरल एवं संभव बनाने में कम्प्यूटर की बढ़ती उपयोगिता स्वयंसिद्ध है।
कम्प्यूटर के महत्व को हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं । व्यावसायिक क्षेत्र में दिन – प्रतिदिन के लेन – देन व स्टॉक आदि का लेखा – जोखा रखने के लिए हम एकाउंटिंग सिस्टम का प्रयोग करते हैं। वर्ष के अंत में पूरे वर्ष की बैलेंस शीट तैयार की जाती है। इन कार्यों का परम्परागत तरीकों से करने में बहुत समय, कभी कभी एक दो माह लग जाते हैं। इसी कार्य को कम्प्यूटर चंद घंटों में निपटा देता है। आपके व्यावसाय का लेखा – जोखा कुछ ही समय में आपके सामने रख देता है। इस प्रकार व्यवसाय में कम्प्यूटर का महत्व बढ़ गया है।
आज कम्प्यूटर हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। जिसका कार्य क्षेत्र फैलते ही जा रहा है। नीचे महत्वपूर्ण क्षेत्र दिए गए है जिनमें कम्प्यूटर का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है –
1. शिक्षा के क्षेत्र में (Education)
2. वैज्ञानिक अनुसंधान में (Scientific Research)
3. रेलवे तथा वायुयान आरक्षण में (Railway and Airlines Reservation)
4. बैंक में (Bank)
5. चिकित्सा विज्ञान में (Medical Science)
6. रक्षा के क्षेत्र में (Defence)
7. प्रकाशन में (Publication)
8. व्यापार में (Business)
9. संचार में (Communication)
10. प्रशासन में (Administration)
11. मनोरंजन में (Recreation)
कम्प्यूटर सिस्टम (Computer System) –
यह उपकरणों का एक समूह है जो एक साथ मिलकर डेटा प्रोसेस करते हैं। कम्प्यूटर सिस्टम में अनेक इकाइयाँ होती हैं जिनका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक डेटा प्रोसेसिंग में होता है बुनियादी कम्प्यूटर प्रोसेसिंग चक्र में इनपुट, प्रोसेसिंग और आउटपुट शामिल होते हैं।
1. इनपुट यूनिट (Input unit) : वैसी इकाई जो यूजर (User) से डेटा प्राप्त कर सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट को इलेक्ट्रॉनिक पल्स के रूप में प्रवाहित (transmit) करता है। जैसा कि ऑटोमेटिक टेलर मशीन (Automatic Teller Machine – ATM) में जब हम निकासी (withdraw) के लिए जाते हैं तो हमें पिन नम्बर (Personal Identification Number) डालना होता है। उसके लिए इनपुट इकाई के रूप में कीपैड का उपयोग किया जाता है।
2. सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) : इसे प्रोसेसर भी कहते हैं। यह एक इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोचिप है जो डेटा को इन्फॉर्मेशन में बदलते हुए प्रोसेस करता है। इसे ‘कम्प्यूटर का ब्रेन’ कहा जाता है। यह कम्प्यूटर सिस्टम के सारे कार्यों को नियंत्रित करता है तथा यह इनपुट को आउटपुट में रूपान्तरित करता है। यह इनपुट यूनिट तथा आउटपुट यूनिट से मिलकर पूरा कप्यूटर सिस्टम बनाता है। इसके अग्रलिखित भाग होते हैं –
(a) अर्थमेटीक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit या ALU) : इसका उपयोग अंकगणितीय तथा तार्किक गणना में होता है। अंकगणितीय गणना के अन्तर्गत जोड़, घटाव, गुणा और भाग इत्यादि तथा तार्किक गणना के अन्तर्गत तुलनात्मक गणना जैसे, (<, > या =), हाँ या ना (Yes या No) इत्यादि आते हैं।
(b) कंट्रोल यूनिट (Control Unit) : यह कम्प्यूटर के सारे कार्यों को नियंत्रित करता है, तथा कम्प्यूटर के सारे भागों जैसे ; इनपुट, आउटपुट डिवाइसेज, प्रोसेसर इत्यादि के सारे गतिविधियों के बीच तालमेल बैठाता है।
(c) मेमोरी यूनिट (Memory Unit) : यह डेटा तथा निर्देशों के संग्रह करने में प्रयुक्त होता है। इसे मुख्यतः दो वर्गों प्राइमरी तथा सेकेंडरी मेमोरी में विभाजित करते हैं। जब कम्प्यूटर कार्यशील रहता है, अर्थात् वर्तमान में उपयोग हो रहे डेटा तथा निर्देश का संग्रह प्राइमरी मेमोरी में होता है। सेकेंडरी मेमोरी का उपयोग बाद में उपयोग होने वाले डेटा तथा निर्देशों को संग्रहीत करने में होता है।
3. आउटपुट यूनिट (Output unit) : वैसी इकाई जो सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट से डेटा लेकर उसे यूजर को समझने योग्य बनाता है। जैसा कि, जब हम सुपर मार्केट में बिल अदा करते हैं तो हमें रसीद प्राप्त होता है, जो एक आउटपुट का रूप है। यह आउटपुट उपकरण (output device) प्रिन्टर से प्राप्त होता है।
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Thaks sir