Table of Contents
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day)–
योगा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। योग और उसके महत्व को समझते हुए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी, तब से हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।
इस साल यानी 21 जून 2021 को योग दिवस की थीम ‘योगा फॉर वेलबिइंग’ है यानी ‘स्वास्थ्य के लिए योग’ है, जो शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए योग का अभ्यास करने पर केंद्रित है। पिछले साल 2020 में कोरोना वायरस की वजह से लोगों को घर में रहने की हिदायत दी गई थी इसलिए योग दिवस की थीम थी ‘घर में रहकर योग करें’।
पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस–
संयुक्त राष्ट्र महासभा की मंजूरी के बाद 21 जून 2015 को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन भव्य तरीके से किया गया था। पीएम मोदी के नेतृत्व में करीब 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे। इस खास आयोजन ने अपना नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया था। पहला रिकॉर्ड यह बना कि 35,985 लोगों ने एक साथ योग किया। इसके अलावा दूसरा यह कि 84 देशों के लोगों द्वारा इस समारोह में हिस्सा लिया गया था। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम ‘सद्भाव और शांति के लिए योग’ थी।
योग दिवस मनाने की शुरुआत–
योग का इतिहास पुराना रहा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। सितंबर 27 को साल 2014 में पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसकी पहल की थी। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को पूर्ण बहुमत से पारित किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्य देशों में से 177 सदस्यों ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दी थी।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का इतिहास–
वर्ष 2009 में इटली के योग गुरु स्वामी शिवानंद सरस्वती ने रोम में योग गुरुओं की एक संगोष्ठी आयोजित की। इसमें भारत के अलावा पुर्तगाल, अर्जेंटीना समेत 12 देशों के डेलिगेशन आए। खास बात यह थी कि संगोष्ठी में हर धर्म की सहभागिता थी। इसकी अध्यक्षता जगतगुरु शंकराचार्य प्रयाग पीठ तीर्थ स्वामी ओंकारानंद कर रहे थे। यहां पर पुर्तगाल के योग गुरु अमृत सूर्यानंद ने प्रस्ताव रखा कि संयुक्त राष्ट्र से बात की जाए कि विश्व में हर साल 21 जून को योग दिवस मनाया जाए। हम सब का पहला प्रश्न था कि 21 जून ही क्यों ? सूर्या नंद ने बताया कि यूएन के कैलेंडर में 21 जून खाली है। यदि यूएन कैलेंडर में स्थान ना हो तो दिन तय करने से कोई लाभ नहीं। कैलेंडर में खाली इस तारीख के साथ सहयोग यह भी था कि यह साल का सबसे लंबा दिन है। योग का उद्देश्य भी व्यक्ति के जीवन को लंबा करना है।
सर्वसम्मति से प्रस्ताव स्वीकार हुआ व ग्लोबल योग अलायंस के नाम से संगठन बना। 2012 की संगोष्ठी में स्वामी अवधेशानंद परमात्मानंद और डॉ. नागेंद्र जैसे प्रबुद्धजन शामिल हुए। इसी वर्ष श्री श्री रविशंकर व बाबा रामदेव भी इस मुहीम से जुड़े। तब तक हम समझ चुके थे कि बिना राजनीतिक सहयोग के संयुक्त राष्ट्र के मंच पर बात उठाना मुश्किल है हमने तत्कालीन सरकार के सामने प्रस्ताव रखा था, मगर तब सरकार उदासीन दिखी। वर्ष 2013 में हम गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी से मिले। उस समय उनका नाम राष्ट्रीय पटल पर तेजी से उभर रहा था। मुलाकात पर जब हमने प्रस्ताव के बारे में बताया तो उनका भी पहला प्रश्न था विश्व योग दिवस 21 जून को ही क्यों मनाया जाये। जब हमने कारण बताया तो वह बहुत प्रभावित हुए। आश्वासन दिया की यदि जनता ने उनकी पार्टी को देश की सेवा का मौका दिया तो वह अवश्य इस प्रस्ताव पर काम करेंगे।
प्रसन्नता की बात ये है की मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनते ही पहले यूएन असेंबली में प्रस्ताव रख दिया। 4 महीने में ही स्वीकृति प्राप्त कर ली। 2015 से अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा। 26 जनवरी 2015 को ही भारत सरकार ने सद्गुरु अमृत सूर्यानंद को पदमश्री से सम्मानित किया। वे यह सम्मान पाने वाले पहले पुर्तगाली नागरिक बने।