यहाँ पर हमने मध्य प्रदेश से संबंध रखने वाले मध्य प्रदेश के प्रमुख साहित्यकारों (Madhya Pradesh ke Pramukh Saahityakaar) के बारे में परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण वर्णन दिया है। यदि आप विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है तो यह पोस्ट आपकी नॉलेज को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।
Table of Contents
Madhya Pradesh ke Pramukh Saahityakaar (मध्य प्रदेश के प्रमुख साहित्यकार) –
● प्राचीन कालीन साहित्यकार –
कालिदास, भर्तृहरि, भवभूति, बाणभट्ट, नागार्जुन, भारवि, मण्डन मिश्र, भास्कर भट्ट, कवि विल्हण, शशिधर, पृथ्वीधर आदि।
● मध्य कालीन साहित्यकार –
केशव, पद्माकर, भूषण, राजा छत्रसाल दामोदरदास, कुम्भनदास हरिदास, पद्माकर, कृष्ण भट्ट आदि।
● आधुनिक कालीन साहित्यकार –
पं. माखनलाल चतुर्वेदी, सुभद्राकुमारी चौहान, बालकृष्ण शर्मा नवीन, पं. द्वारिका प्रसाद, भवानीप्रसाद मिश्र, हरिशंकर परसाई, शरद जोशी, मुल्ला रमूजी, डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन, नंददुलारे वाजपेयी, बालकवि बैरागी, दुष्यंत कुमार, श्रीकांत वर्मा, गजानन माधव मुक्तिबोध, श्रीकृष्ण ‘सरल’ आदि।
✍ म.प्र. के साहित्यकारों की रचनाएं –
कालिदास –
अभिज्ञान शाकुन्तलम, विक्रमोर्वशीयम्, मालविका अग्निमित्रम्, मेघदूत, ऋतुसंहार, रघुवंश, कुमारसंभवम।
भर्तृहरि –
शृंगार शतक, नीति शतक, वैराग्य शतक
भवभूति –
महावीर चरित, उत्तर रामचरित, मालतीमाधव
बाणभट्ट –
हर्षचरित, कादम्बरी, चण्डिका शतक, पार्वती, परिणय, मुकुट ताड़ितक
केशवदास –
रामचन्द्रिका, जहाँगीर जस चन्द्रिका, वीरसिंह देव, रसिक प्रिया, कविप्रिया, विज्ञान गीता, नख-शिख, छन्दमाला रतन बावनी।
भूषण –
शिवराज भूषण, शिवा बावनी, छत्रसाल दशक, भूषण उल्लास, दूषण उल्लास, भूषण हजारा।
पदमाकर –
हिम्मत बहादुर विरुदावली, प्रतापसिंह बहादुर, विरुदावली, जयसिंह बहादुर, गंगा लहरी, यमुना लहरी, प्रबोध पचासा, राम रसायन।
माखनलाल चतुर्वेदी –
हिमकिरीटिनी, हिमतरंगिनी, युगचरण, समर्पण, अमीर इरादे, गरीब इरादे, कृष्णार्जुन युद्ध, साहित्य के देवता, जीवन के गान, माता, समय के पाँव, रंगों की होली, मरण ज्वार, वेणु लो गूंजे धरा, बीजुरी काजल आँज रही आदि।
डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन –
हिल्लोल, विंध्य-हिमालय, प्रलय-सृजन, मिट्टी की बारात, विश्वास बढ़ता ही गया पर आँखें नहीं भरी, युग का मोल।
सुभद्राकुमारी चौहान –
मुकुल, विधारा, बिखरे मोती, सीधे-सादे चित्र, सभा के खेल, वीरों का कैसा हो बसंत, उन्मादनी।
शरद जोशी –
जीप पर सवार इल्लियाँ, रहा किनारे बैठ, यथासंभव, दूसरी सतह, फिर किसी बहाने, अंधों का हाथी, एक था गधा, मैं, मैं और केवल मैं।
हरिशंकर परसाई –
रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज, भूत के पाँव पीछे, शिकायत मुझे भी है, विकलांग, श्रद्धा का दौर, हँसते हैं- रोते हैं, तब की बात और थी, ठिठुरता हुआ गणतंत्र।
गजानन माधव मुक्तिबोध –
चाँद का मुँह टेढ़ा है, नये निबंध, भूरी-भूरी खाक धूल, एक साहित्यिक की डायरी, नई कविता का आत्म-संघर्ष, नए साहित्य का सौदर्य शास्त्र, भारत इतिहास और संस्कृति।
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ –
कुमकुम, रश्मि रेखा अपलक, विनोबा स्तवन, उर्मिला, हम विषपायी जनम के, क्वाँसी प्राणार्यण, स्तवन।
भवानीप्रसाद मिश्र –
गीत फरोश, चकित है दुख, अंधेरी कविताएँ, गाँधी पंचशप्ती, सतपुड़ा के घने जंगल, बुनी हुई रस्सी।
मुल्ला रमूजी –
गुलाबी उर्दू, अंगुरा, शादी, औरत जात, लाठी और मैस, मुसाफिरखाना, सुबह की लताफलत, दीवआने मुल्ला रमूजी जिन्दगी, शायरी जेग, मशहिरे भोपाल, तारीख।
✍ Madhya Pradesh ke Pramukh Saahityakaar से संबंधित अन्य तथ्य –
➢ कालिदास को भारत का शेक्सपीयर कहा जाता है।
➢ कालिदास की रचना कुमारसम्भव संस्कृत का महाकाव्य है जिसमें शिव-पार्वती के विवाह, कुमार कार्तिकेयन के जन्म के साथ तारकासुर वध की कथा का वर्णन है।
➢ अभिज्ञान शाकुन्तलम् कृति की विषयवस्तु राजा दुष्यन्त और शकुंतला का मिलन एवं प्रणय दृश्यों की भौतिकता है।
➢ भवभूति की तुलना कवि मिल्टन से की जाती है।
➢ केशवदास को कठिन काव्य का प्रेत और हृदयहीन कवि भी कहा जाता है।
➢ पं. माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘प्रभा’ नामक पत्रिका का प्रकाशन तथा कर्मवीर समाचार पत्र का सम्पादन किया है।
➢ राष्ट्रीय कविताओं के कारण माखनलाल चतुर्वेदी को ‘भारतीय आत्मा’ के नाम से पुकारा जाता है।
➢ माखनलाल चतुर्वेदी पदम भूषण की उपाधि से अलंकृत है।
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