यहाँ पर हमने भारत की प्रमुख स्वतंत्र संस्थाएं के विस्तृत विवरण की जानकारी दी है। प्रतियोगी परीक्षाओं में कई बार भारत की प्रमुख स्वतंत्र संस्थाएं से प्रश्न पूछें जा चुके है। यदि आप विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे:एसएससी, आईबीपीएस, पुलिस सब-इंस्पेक्टर, बैंक पी.ओ, सी.डी.एस, संविदा शिक्षक, पी.एस.सी, रेलवे, व्यापमं तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है तो आपको भारत की प्रमुख स्वतंत्र संस्थाएं के बारे में एक बार आवश्यक रूप से पढ़ लेना चाहिए।
भारत की प्रमुख स्वतंत्र संस्थाएं (Major independent institutions of India)–
● योजना आयोग–
योजना आयोग की स्थापना भारत सरकार द्वारा मार्च 1950 में की गई थी। देश में संस्थानों का प्रभावित ऑन कर उत्पादन बढ़ाकर सभी को रोजगार के अवसर देकर लोगों के जीवन स्तर में तेजी सुधार लाने के उद्देश्यों से संस्था की स्थापना की गई थी।
जवाहरलाल नेहरू योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष थे। 17 अगस्त 2014 को योजना आयोग को खत्म कर दिया गया और इसकी जगह पर नीति आयोग का गठन हुआ।
नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल बतौर सदस्य शामिल होंगे।
फिलहाल इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार है, जबकि मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत है।
● भारतीय चुनाव आयोग–
भारतीय चुनाव आयोग एक स्वायत्त एवं अर्ध न्यायिक संस्था है। इसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रुप से प्रतिनिधि संस्थानों में जनप्रतिनिधि चुनने के लिए किया गया था।
भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी। आयोग में वर्तमान में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं।
वर्तमान में मुख्य चुनाव/निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा जी तथा चुनाव आयुक्त राजीव कुमार एवं सुनील चंद्रा हैं।
● संघ लोक सेवा आयोग–
संघ लोक सेवा आयोग यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन भारत के संविधान द्वारा स्थापित एक ऐसी संस्था है जो भारत सरकार के लोक सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षा संचालित करती है।
संविधान के अनुच्छेद 315-323 में एक संघीय लोक सेवा आयोग और राज्यों के लिए राज्य लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान है। प्रथम लोक सेवा आयोग की स्थापना 1 अक्टूबर,1926 को हुई थी। वर्तमान में संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रदीप कुमार जोशी है।
● राष्ट्रीय महिला आयोग–
राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन जनवरी 1992 में एक संवैधानिक निकाय के रूप में किया गया था। महिला आयोग का काम महिलाओं के संवैधानिक हित और उनके कानूनी सुरक्षा उपायों को लागू करना होता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की पहली अध्यक्ष जयंती पटनायक थी। मौजूदा अध्यक्ष रेखा शर्मा है।
● केंद्रीय सूचना आयोग–
भारत सरकार ने अपने नागरिकों के जीवन को सहज सुचारू रखने और देश को पूरी तरह लोकतांत्रिक बनाने और सरकारी पारदर्शिता के लिए आरटीआई अधिनियम स्थापित किया। 2005 में इस आयोग का गठन किया गया।
राइट टू इंफॉर्मेशन (आरटीआई) का अर्थ है सूचना का अधिकार और इसे संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है। आरटीआई के तहत हर नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य करती है। फिलहाल मुख्य सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव है।
● राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग–
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत किया। इसका गठन 5 धार्मिक अल्पसंख्यकों, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए किया गया है। आयोग में एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष और पांच सदस्य होते हैं जो अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के प्रथम अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद सरदार अली खान (1993-996) थे। वर्तमान में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष गरूर हसन रिजवी हैं।
आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में भी राज्य अल्पसंख्यक आयोग गठन किया गया है। इन आयोगों के कार्यालय राज्यों की राजधानियों में स्थित है।
● भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)–
कॉम्प्ट्रॉलर एंड ऑडिटर जनरल यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को आमतौर पर कैग के नाम से जाना जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 में कैग का प्रावधान है जो केंद्र व राज्य सरकारों के विभागों और उनके द्वारा नियंत्रित संस्थानों के आय-व्यय की जांच करती है। यह संस्था सार्वजनिक धन की बर्बादी के मामलों को समय-समय पर प्रकाश में लाती है। 1948 में पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) वी. नरहरि राव बने थे। वर्तमान में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू है।