VPN (Virtual Private Network)–
दरअसल, वीपीएन वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क होता है। ये आपको ऑनलाइन प्राइवेसी देता है। ये पब्लिक इंटरनेट कनेक्शन से एक प्राइवेट नेटवर्क बना देता है। वीपीएन हमारे आईपी (इंटरनेट) एड्रेस को छिपा लेता है। ताकि आप जो भी काम ऑनलाइन करें, उन्हें वास्तव में खोजा न जा सके।
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क क्या होता है ?
इसे आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं – हमारे द्वारा सर्च की हुई जानकारी हमारी इंटरनेट प्रदाता कंपनी को जाती है। इसके बाद यह कंपनी हमारी सर्च रिक्वेस्ट गूगल के सर्वर तक पहुंचाती है। लेकिन जब हम वीपीएन इस्तेमाल करते हैं तो हमारी इंटरनेट कंपनी को हमारी असली आईपी नहीं पता चलती है। प्रॉक्सी आईपी ही गूगल तक पहुंचती है। इसके अनुसार ही हमें गूगल रिजल्ट दिखाता है। इसीलिए कई बार किसी क्षेत्र विशेष में प्रतिबंधित वेबसाइट भी वीपीएन पर खुल जाती है।
आजकल गूगल और प्लेस्टोर पर फ्री वीपीएन भी उपलब्ध हैं। लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से कुछ फ्री वीपीएन यूज करना ठीक नहीं है। फ्री वीपीएन डेटा को सुरक्षित नहीं रख पाते है इसलिए फ्री वीपीएन कभी भी यूज़ नहीं करना चाहिए।
आप सुरक्षा की दृस्टि से हमेंशा प्लान लेकर ही वीपीएन का उपयोग करें। जिससे डाटा तो सुरक्षित रहता ही है साथ ही इंटरनेट की स्पीड भी बढ़ जाती है।
ये हैं वीपीएन इस्तेमाल करने के फायदे –
- आपकी ब्राउंजिंग हिस्ट्री , आईपी एड्रेस और लोकेशन जैसी चीजें सुरक्षित रहती हैं। ऑनलाइन रहने पर किसी को पता नहीं चलती हैं।
- किसी क्षेत्र या देश विशेष में प्रतिबंधित साइट को भी इसकी मदद से खोला जा सकता है। जैसे कई देशों में फेसबुक या वॉट्सएप बैन है। इसलिए वीपीएन की सहायता से प्रतिबंधित साइटों को ओपन किया जा सकता है।
- वीपीएन यूज करने पर कनेक्शन इनक्रिप्ट हो जाता है, इसलिए आपका डेटा हैकर तक नहीं पहुंचता।
- ज़्यादातर कंपनिया वीपीएन वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का इस्तेमाल डाटा को सुरक्षित रखने के लिए करती है।
- ऑनलाइन सिक्योरिटी को बढ़ा देते है और आपके ऑनलाइन सेशंस, जानकारी को हैकरों से सुरक्षित कर देता है।