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हिन्दी दिवस विशेषांक: हिन्दी के कुछ रोचक तथ्य–
‘हिन्दी’ विश्व की लगभग 3000 भाषाओं में से एक है। आकृति या रूप के आधार पर हिन्दी वियोगात्मक या विश्लिष्ट भाषा है।
हिन्दी की आदि जननी संस्कृत है। संस्कृत पालि, प्राकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश तक पहुँचती है। फिर अपभ्रंश, अवहट्ट से गुजरती हुई प्राचीन/प्रारंभिक हिन्दी का रूप लेती है। सामान्यतः, हिन्दी भाषा के इतिहास का आरंभ अपभ्रंश से माना जाता है।
राष्ट्रभाषा (National Language) क्या है ?
राष्ट्रभाषा का शाब्दिक अर्थ है- समस्त राष्ट्र में प्रयुक्त भाषा अर्थात् आम जन की भाषा (जनभाषा)। जो भाषा समस्त राष्ट्र में जन-जन के विचार-विनिमय का माध्यम हो, वह राष्ट्रभाषा कहलाती है।
राष्ट्रभाषा राष्ट्रीय एकता एवं अतर्राष्ट्रीय संवाद-सम्पर्क की आवश्यकता की उपज होती है। वैसे तो सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ होती हैं किन्तु राष्ट्र की जनता जब स्थानीय एवं तात्कालिक हितों व पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर अपने राष्ट्र की कई भाषाओं में से किसी एक भाषा को चुनकर उसे राष्ट्रीय अस्मिता का एक आवश्यक उपादान समझने लगती है तो वही राष्ट्रभाषा है।
राष्ट्रभाषा शब्द कोई संवैधानिक शब्द नहीं है बल्कि यह प्रयोगात्मक, व्यावहारिक व जनमान्यता प्राप्त शब्द है। राष्ट्रभाषा सामाजिक सांस्कृतिक मान्यताओं-परंपराओं के द्वारा सामाजिक-सांस्कृतिक स्तर पर देश को जोड़ने का काम करती है अर्थात् राष्ट्रभाषा की प्राथमिक शर्त देश में विभिन्न समुदायों के बीच भावनात्मक एकता स्थापित करना है।
राजभाषा (Official Language) क्या है ?
राजभाषा का शाब्दिक अर्थ है- राज-काज की भाषा। जो भाषा देश के राजकीय कार्यों के लिए प्रयुक्त होती है, वह ‘राजभाषा’ कहलाती है। राजाओं-नवाबों के जमाने में इसे ‘दरबारी भाषा’ कहा जाता था। राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है।
राजभाषा सरकारी काम-काज चलाने की आवश्यकता की उपज होती है। स्वशासन आने के पश्चात् राजभाषा की आवश्यकता होती है। प्रायः राष्ट्रभाषा ही स्वशासन आने के पश्चात् राजभाषा बन जाती है। भारत में भी राष्ट्रभाषा हिन्दी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ।
राजभाषा देश को अपने प्रशासनिक लक्ष्यों के द्वारा राजनीतिक आर्थिक इकाई में जोड़ने का काम करती है। अर्थात् राजभाषा की प्राथमिक शर्त राजनीतिक प्रशासनिक एकता कायम करना है।
राजभाषा का प्रयोग-क्षेत्र सीमित होता है, यथा : वर्तमान समय में भारत सरकार के कार्यालयों एवं कुछ राज्यों हिन्दी क्षेत्र के राज्यों में राज-काज हिन्दी में होता है। अन्य राज्य सरकारें अपनी-अपनी भाषा में कार्य करती हैं, हिन्दी में नहीं; महाराष्ट्र मराठी में, पंजाब पंजाबी में, गुजरात गुजराती में आदि।
राष्ट्रभाषा व राजभाषा संबंधी कुछ विविध तथ्य–
☛ प्रताप नारायण मिश्र ने ‘हिन्दी-हिन्दू-हिन्दुस्तान’ का नारा दिया।
☛ हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का विचार सर्वप्रथम बंगाल में उदित हुआ।
☛ कांग्रेस के फैजपुर अधिनेशन (1936 ई०) एवं हरिपुरा अधिवेशन (1938 ई०) में कांग्रेस के विराट मण्डप में ‘राष्ट्रभाषा सम्मेलन’ आयोजित किये गये, जिनकी अध्यक्षता राजेन्द्र प्रसाद (फैजपुर) एवं जमना लाल बजाज (हरिपुरा) ने की।
☛ संविधान सभा में हिन्दी को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव गोपाल स्वामी आयंगर ने रखा।
☛ संविधान सभा में राजभाषा के नाम पर हुए मतदान में हिन्दुस्तानी को 77 वोट तथा हिन्दी को 78 वोट मिले।
☛ हिन्दी को 14 सितम्बर 1949 ई ० को संवैधानिक रूप से राजभाषा घोषित किया गया। इसीलिए प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
☛ पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात राज्य अपने शासन में क्रमशः पंजाबी, मराठी और गुजराती भाषा के साथ-साथ हिन्दी को ‘सहभाषा’ के रूप में घोषित कर रखा है।
☛ हिन्दी भाषी क्षेत्र/हिन्दी क्षेत्र/हिन्दी पट्टी (Hindi Belt): हिन्दी पश्चिम में अम्बाला (हरियाणा) से लेकर पूर्व में पूर्णिया (बिहार) तक तथा उत्तर में बद्रीनाथ-केदारनाथ (उत्तराखंड) से लेकर दक्षिण में खंडवा (मध्य प्रदेश) तक बोली जाती है। इसे हिन्दी भाषी क्षेत्र या हिन्दी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।
☛ इस क्षेत्र के अन्तर्गत राज्य- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश तथा 1 केन्द्रशासित प्रदेश (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र)-दिल्ली-आते है। इस क्षेत्र में भारत की कुल जनसंख्या के 43 % लोग रहते हैं।